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परिषद् के उद्देश्य
संगम ज्ञापन में परिभाषित परिषद् के उद्देश्य हैं:
- भारत के विदेशी सांस्कृतिक संबंधों से संबंधित नीतियां और कार्यक्रम तैयार करना और उनके कार्यान्वयन में भागीदारी करना;
- भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और पारस्परिक समझ को बढ़ाना और मजबूत करना;
- अन्य देशों और लोगों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना;
- संस्कृति के क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से संबंध स्थापित करना और उन्हें विकसित करना;
- ऐसे कदम उठाना जो इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक हों।
नियम और विनियम
सामान्य सभा द्वारा 24 फ़रवरी, 1979 को यथा संशोधित नियम और विनियम:
ये संशोधन सामान्य सभा और शासी निकाय के संविधान से संबंधित खंड को छोड़कर 1 मार्च, 1979 से प्रभावी हैं। वर्तमान सामान्य सभा और शासी निकाय उनके गठन की तारीख से 3 वर्ष के नए नियत कार्यकाल तक बने रहेंगे।
- परिभाषा
- संगठन
- परिषद् के प्राधिकारी
- सामान्य सभा
- सामान्य सभा के कार्य
- सामान्य सभा की बैठकैं
- शासी निकाय
- शासी निकाय के कार्य
- शासी निकाय की बैठकैं
- वित्त समिति
- वित्त समिति के कार्य
- परिषद् के पदाधिकारी
- अध्यक्ष
- उपाध्यक्ष
- महानिदेशक
- वित्तीय सलाहकार
- परिषद् के अध्येता
- सामान्य
परिभाषा
इन नियमों और विनियमों में निम्नलिखित शब्दों के निम्न अर्थ होंगे जबतक कि ये विषय अथवा संदर्भ के साथ असंगत न हो:
- परिषद् से भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् अभिप्रेत होगा।
- सामान्य सभा से इन नियमों में संदर्भित परिषद् की सामान्य सभा अभिप्रेत होगा।
- शासी निकाय से इन नियमों में संदर्भित परिषद् की शासी निकाय अभिप्रेत होगा।
- अध्यक्ष से इन नियमों में संदर्भित परिषद् के अध्यक्ष अभिप्रेत होगा।
- उपाध्यक्ष से इन नियमों में संदर्भित परिषद् के उपाध्यक्ष अभिप्रेत होगा।
- सदस्यों से इन नियमों में संदर्भित परिषद् के सदस्य अभिप्रेत होगा।
- महानिदेशक से इन नियमों के अधीन नियुक्त परिषद् के महानिदेशक अभिप्रेत होगा।
- वित्तीय सलाहकार से इन नियमों के अधीन नियुक्त परिषद् के वित्तीय सलाहकार अभिप्रेत होगा।
- फंड से सभी चल और अचल संपत्ति सहित परिषद् का फंड अभिप्रेत होगा।
- अनुभाग से परिषद् के अनुभाग अभिप्रेत होगें, प्रत्येक अनुभाग एक क्षेत्र विशेष या परिषद् के कार्य के किसी पहलू का प्रतिनिधित्व करेगा।
संगठन
- परिषद् एक निगमित निकाय होगी, इसकी एक सतत सील होगी और यह अपने निगमित नाम से मुकदमा चला सकती है और इस पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
- परिषद् कार्य की सुगमता के लिए अपने मुख्यालय में अनुभागों, भारत के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय कार्यालयों और विदेश में सांस्कृतिक केन्द्रों / कार्यालयों की स्थापना कर सकती है।
परिषद् के प्राधिकारी
परिषद् के प्राधिकारी निम्नलिखित होंगे:
- सामान्य सभा;
- शासी निकाय;
- वित्त समिति; और
- अध्यक्ष, सामान्य सभा या शासी निकाय द्वारा परिषद् के किसी कार्य के निर्वहन के लिए गठित कोई अन्य समिति।
सामान्य सभा
क) सामान्य सभा का गठन इस प्रकार होगा:
- अध्यक्ष;
- तीन उपाध्यक्ष;
- महानिदेशक;
- वित्तीय सलाहकार;
- भारत सरकार द्वारा नामित पांच व्यक्ति;
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नामित लोकसभा के दो सदस्य और राज्यसभा के सभापति द्वारा नामित राज्यसभा का एक सदस्य;
- ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी में से प्रत्येक का एक प्रतिनिधि जिन्हें इन अकादमियों के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा नामित किया जाएगा;
- भारतीय संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को परिषद् के अध्यक्ष द्वारा अपनी व्यक्तिगत हैसियत से नामित किया जाएगा जिनकी संख्या दस से अधिक नहीं होगी;
- शासी निकाय द्वारा संस्थाओं और संगठनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अभिनय, ललित और प्लास्टिक कला के क्षेत्रों से दस प्रख्यात कलाकारों का चयन किया जाएगा;
- शासी निकाय द्वारा विश्वविद्यालयों या सम विश्वविद्यालीय संस्थाओं के पंद्रह प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा;
- शासी निकाय द्वारा प्रमुख वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों के पांच प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा;
- मानविकी और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान संस्थानों और उच्च शिक्षा संस्थानों के पांच प्रतिनिधियों और शासी निकाय द्वारा परिषद् के कार्य और उद्देश्यों में अभिरुचि रखने वाले अन्य संगठनों के पांच प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा।
- शासी निकाय द्वारा चुने जाने वाले परिषद के कार्य और उद्देश्यों में रुचि रखने वाले अन्य संगठनों के पांच प्रतिनिधि।
ख) सभी सदस्य, सिवाय जहां अन्यथा प्रावधान हो, तीन वर्ष की अवधि के लिए पद संभालेंगे और पुनर्नियुक्ति के पात्र होंगे। तथापि, किसी आकस्मिक रिक्ति के मामले में, नए पदधारी का कार्यकाल मूल पदधारी जिसका स्थान रिक्त हुआ है, के शेष कार्यकाल के लिए होगा।
सामान्य सभा के कार्य
सामान्य सभा के कार्य और अधिकार निम्नलिखित होंगे:
- भारत सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों के आलोक में परिषद् के कार्यक्रमों पर विचार करना और उन्हें तैयार करना और विदेशी सांस्कृतिक संबंधों पर भारत सरकार को सलाह देना;
- शासी निकाय द्वारा अनुमोदित परिषद् के वार्षिक बजट को पारित करना;
- शासी निकाय द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमों और विशिष्ट परियोजन पर विचार करना और उन्हें अनुमोदित करना और इस संबंध में निर्देशन देना;
- वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करना;
- जब तक भारत सरकार, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के माध्यम से लेखा परीक्षा की व्यवस्था नहीं कर देती तब तक लेखा परीक्षकों को नामित करना और लेखा परीक्षा किए गए खातों और लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट प्राप्त करना;
- अपने सदस्यों के बीच से दो उपाध्यक्षों का चुनाव करना;
- खण्ड 7 (vi) के अनुसार शासी निकाय के सदस्यों का चुनाव करना;
- खण्ड 10 (iv) के अनुसार वित्त समिति के सदस्यों का चुनाव करना;
- इसके नियमों, विनियमों, उप-नियमों और कार्यविधि के नियमों को बनाना; और
- परिषद् के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे अन्य उपाय करना जो इसके लिए आवश्यक हों।
सामान्य सभा की बैठकें
- अध्यक्ष द्वारा नियत किए जाने वाले स्थान और तारीख को वर्ष में कम से कम एक बार सामान्य सभा की बैठक होगी। जब कभी आवश्यक हो, अध्यक्ष द्वारा विशेष बैठकें बुलाई जा सकती हैं। यदि सामान्य सभा के कुल सदस्यों में से दो-तिहाई सदस्य अनुरोध करें तो अध्यक्ष द्वारा सामान्य सभा की बैठक बुलाई जाएगी।
- कुल सदस्यता की एक-तिहाई संख्या से कोरम पूरा होगा।
शासी निकाय
शासी निकाय में निम्नलिखित सदस्य होंगे, अर्थात:
- अध्यक्ष;
- तीन उपाध्यक्ष;
- महानिदेशक;
- वित्तीय सलाहकार;
- भारत सरकार द्वारा सामान्य सभा के अपने नामितों में से नामित तीन सदस्य;
- सामान्य सभा द्वारा अपने सदस्यों में से नौ सदस्यों को चुना जाएगा जिनमें से कम से कम एक राज्य सभा के सदस्य और दो लोकसभा के सदस्य होने चाहिए।
शासी निकाय के कार्य
शासी निकाय के निम्नलिखित कार्य और अधिकार होंगे:
- सामान्य सभा के नीतिनिर्देशों के अधीन परिषद् के कार्यकारी अधिकार का प्रयोग करना;
- परिषद् के कार्य के पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए उत्तरदायित्व होना;
- सामान्य सभा को प्रस्तुत करने के लिए परिषद् के कार्यक्रमों और विशिष्ट परियोजनाओं को तैयार करना;
- सामान्य सभा द्वारा स्वीकृति करने हेतु भारत सरकार द्वारा निर्धारित वित्तीय सीमाओं के अधीन परिषद् के वार्षिक बजट को अनुमोदित करना;
- सामान्य सभा द्वारा स्वीकृति करने हेतु परिषद् की वार्षिक रिपोर्ट और खातों को अनुमोदित करना;
- खंड 4 (IX) से (XIII) के अनुसार, सामान्य सभा के सदस्य होने के लिए भारत के विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों को चुनना;
- परिषद् के अध्यक्ष द्वारा परिषद् के महानिदेशक और स्टाफ के अन्य सदस्यों की नियुक्ति को अनुमोदित करना, सिवाय उनके जिनकी नियुक्ति का अधिकार इसके द्वारा सामान्यत: या विनिर्दिष्ट रूप से अध्यक्ष और महानिदेशक या किसी अन्य अधिकारी या समिति को प्रत्यायोजित कर दिया गया हो, बशर्ते कि जिन पदों का वेतनमान 5,000/- रु. प्रतिमाह से अधिक हो, उनकी भर्ती भारत सरकार के परामर्श से की जाएगी। तथापि, यह बाद की स्थिति गैर-प्रशासनिक पदों जैसे विदेश में तैनात भारतीय अध्ययन पर विदेश में तैनात परिषद् के प्रोफेसर, के लिए लागू नहीं होगी;
- खण्ड 10 (v) के अनुसार वित्त समिति के लिए एक प्रतिनिधि का चुनाव करना।
शासी निकाय की बैठकें
अध्यक्ष द्वारा नियत किए जाने वाले स्थान और तारीख को वर्ष में कम से कम दो बार शासी निकाय की बैठक होगी। अध्यक्ष द्वारा अपनी पहल अथवा शासी निकाय के दो-तिहाई सदस्यों से प्राप्त लिखित अनुरोध पर और अधिक बैठकें बुलाई जा सकती हैं।
शासी निकाय के सात सदस्यों की उपस्थिति से कोरम का गठन होगा।
वित्त समिति
वित्त समिति में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे, जैसे:
- महानिदेशक;
- वित्तीय सलाहकार;
- भारत सरकार का एक नामिती;
- सामान्य सभा के दो प्रतिनिधि; और
- शासी निकाय का एक प्रतिनिधि।
वित्त समिति के कार्य
- वित्त समिति परिषद् के बजट प्राक्कलनों पर विचार करेगी और उस पर शासी निकाय के लिए सिफारिशें करेगी;
- यह परिषद् के प्रशासन और कार्यक्रम से संबंधित उन मामलों पर विचार करेगी और सिफारिश करेगी जो समय-समय पर अध्यक्ष या शासी निकाय या सामान्य सभा द्वारा इसे संदर्भित किए गए हों;
- यह परिषद् के नियंत्रणाधीन सभी पदों के संबंध में सेवा की निबंधन एवं शर्तों को निर्धारित करेगी।
परिषद् के पदाधिकारी
परिषद के निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे:
- अध्यक्ष;
- उपाध्यक्ष;
- महानिदेशक; और
- वित्तीय सलाहकार
अध्यक्ष
- अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और इनके कार्यकाल की अवधि तीन वर्ष की होगी;
- शासी निकाय संकल्प द्वारा परिषद् के कार्य के संचालन के लिए अपनी ऐसी शक्तियों को प्रत्यायोजित कर सकता है जो यह उचित समझे। इन नियमों के तहत प्रदत्त अधिकारों के अंतर्गत अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले शासी निकाय की अगली बैठक में सूचित किए जाएंगे;
- यदि अध्यक्ष आवश्यक या उपयुक्त समझें तो अपने ऐसी शक्तियों को उपाध्यक्षों या महानिदेशक को प्रत्यायोजित कर सकते हैं;
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों अथवा संगठनों में परिषद् का प्रतिनिधित्व करने के लिए अध्यक्ष एक अथवा एक से अधिक व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं।
उपाध्यक्ष
- उपाध्यक्ष कुल तीन होंगे जिनमें से दो का चुनाव परिषद् की सामान्य सभा द्वारा अपने सदस्यों में से किया जाएगा तथा इनके कार्यकाल की अवधि तीन वर्ष की होगी। भारत सरकार के विदेश सचिव पदेन तीसरे उपाध्यक्ष होंगे;
- किसी कारणवश अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष द्वारा अभिहित उपाध्यक्ष अध्यक्ष की सभी शक्तियों का प्रयोग करेगा।
खण्ड 14 की पाद टिप्पणी: यह सामान्य सभा का निर्णय है कि जब अध्यक्ष दिल्ली में हों, तब महानिदेशक ऐसे सभी महत्वपूर्ण मामलों पर जिनमें अपने से उच्च प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता हो, उपाध्यक्षों के पास न जाकर सीधे अध्यक्ष से आदेश प्राप्त करेंगे। तथापि, जिन मामलों में वित्तीय और प्रशासनिक दृष्टिकोण से विदेश मंत्रालय, भारत सरकार शामिल है, उन मामलों में महानिदेशक निश्चित रूप से विदेश सचिव और परिषद् के पदेन उपाध्यक्ष के माध्यम से अध्यक्ष को प्रस्ताव और कागजात भेजेंगे।
महानिदेशक
- महानिदेशक परिषद् के प्रधान कार्यकारी अधिकारी होंगे और शासी निकाय के अनुमोदन से उनकी नियुक्ति अध्यक्ष द्वारा की जाऐगी। उनका कार्यकाल, सेवा की निबंधन एवं शर्तें शासी निकाय के अनुमोदन के अध्यधीन होंगी;
- महानिदेशक सामान्य सभा, शासी निकाय का पदेन सचिव और वित्त समिति के सदस्य होंगे;
- महानिदेशक के ये कार्य होंगे:
- यह सुनिश्चित करना कि परिषद् के खातें और परिसंपत्तियां उचित स्थिति में हैं;
- परिषद् की ओर से संविदाओं का निष्पादन;
- वित्तीय सलाहकार और वित्त समिति के साथ परामर्श से क्रियाकलापों का कार्यक्रम और बजट प्राक्कलन तैयार करना और इन्हें परिषद् की शासी निकाय के समक्ष प्रस्तुत करना;
- परिषद् और इसकी एजेंसियों की ओर से, जैसा आवश्यक हो, कार्यालय संबंधित पत्राचार करना;
- परिषद् के प्राधिकारियों की बैठकें बुलाने के लिए सूचना जारी करना और इन बैठकों के कार्यवृत रिकॉर्ड करना; और
- ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग करना जोकि परिषद् की सामान्य सभा, शासी निकाय और अध्यक्ष द्वारा उन्हे प्रत्यायोजित या प्रदान की गई हों।
वित्तीय सलाहकार
- विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के वित्तीय सलाहकार परिषद् के वित्तीय सलाहकार होंगे;
- परिषद् के अध्यक्ष अथवा किसी भी प्राधिकारी द्वारा निर्दिष्ट वित्तीय मामलों पर वित्तीय सलाहकार परिषद् को सलाह देगा;
- नीति से संबंधित किसी भी वित्तीय या लेखे के मामले में वित्तीय सलाहकार, महानिदेशक और वित्त तथा लेखा अधिकारी को सलाह देगा।
परिषद् के अध्येता
शासी निकाय ऐसे 30 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को परिषद् के अध्येता के रूप में नामित कर सकती है जिन्होंने भारत और अन्य देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समझ प्रेरित करने में विशिष्ट सेवा प्रदान की है।
सामान्य
- सामान्य सभा, उपस्थित सदस्यों तथा मतदान में उनके कम से कम तीन-चौथाई बहुमत द्वारा, सामान्य सभा के फैसले के अनुरूप इस संविधान में संशोधन कर सकती है, किन्तु परिषद् के उद्देश्यों तथा सामान्य सभा और शासी निकाय के संघटन में किए गए संशोधन तब तक वैध नहीं समझे जाएंगे जब तक कि सामान्य सभा के कुल सदस्यों में से आधे सदस्य भी इसका समर्थन न करें, और तत्पश्चात् भारत सरकार इसे अनुमोदित न कर दे।
- भारत सरकार के ऐसे अधिकारियों के मामले में जिन्हें उनकी पदेन क्षमता में परिषद् की किसी समिति अथवा प्राधिकार में बतौर सदस्य नामित किया जाता है, उनका नामन पदनाम से किया जाएगा और उनके लिए यह छूट होगी कि अध्यक्ष की अनुमति से वे किसी प्राधिकार या समिति, जिसके वे सदस्य हैं, की किसी विशेष बैठक में भाग लेने के लिए अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को नामित करें।
- सामान्य सभा अथवा शासी निकाय अथवा वित्त समिति का कोई निर्णय या कार्यवाही महज इसलिए अवैध नहीं होगी कि इसके सदस्यों में कोई रिक्तता है अथवा इसके संविधान में कोई दोष है।
- इन नियमों में किसी के समाविष्ट न होने के बावजूद, परिषद् के भूतपूर्व अथवा मौजूदा प्राधिकारियों द्वारा की गई कोई कार्रवाई अवैध नहीं होगी यदि ऐसी कार्रवाई इसमें स्वीकृत नियमों के प्रावधानों के विरुद्ध न हो।